May 21, 2020

Anger, Krodh, क्रोध

क्रोधो वैवस्वतो राजा तॄष्णा वैतरणी नदी।
विद्या कामदुग्धा धेनु: सन्तोषो नन्दनं वनम्।।

भावार्थ-
क्रोध यमराज के समान है और
तृष्णा नरक की वैतरणी नदी के समान। 
विद्या सभी इच्छाओं को पूरी करने वाली कामधेनु है और
 संतोष स्वर्ग का नंदन वन है।

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