1. કાલી सबसे पहले माता सती ने मां काली का रूप धारण किया उनका वह रूप भयभीत करने वाला था मंदिर - कोलकाता, गुजरात और उज्जैन में महाकाली के प्रसिद्ध मंदिर हैं। मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा 2. તારા श्री तारा महाविद्या इस सृष्टि के केंद्रीय सर्वोच्च नियामक और क्रिया रूप दसमहाविद्या में से द्वितीय विद्या के रूप में सुसज्जित हैं। मंदिर - पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में तारापीठ दूसरा प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला। मंत्र - ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट 3. ત્રિપુરા સુંદરી मंत्र - ऐ ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम: 4. ભુવનેશ્વરી मां भुवनेश्वरी चौथी महाविद्या है। ब्रह्मांड की शासक हैं। दुर्गामासुर नामक दैत्य का वध कर समस्त जगत को भयमुक्त किया था मंत्र - ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम: 5. ભૈરવી महाविद्याओं में मां भैरवी पांचवा स्वरूप हैं।चण्ड और मुंड को मारती हैं। वे सभी भय से मुक्त हैं और हमें सभी भय से मुक्त कराते हैं। मंत्र - ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा: 6. છિન્નમસ્તા महाविद्या देवी का छठा स्वरूप है मंदिर - झारखंड की राजधानी रांची में। मंत्र- श्रीं ह्नीं ऎं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा 7. ધુમાવતી दसमहाविद्या का सातवां स्वरूप है शरीर को सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करने के लिए भी उनकी पूजा की जाती है। मंत्र - ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा: 8. બગલામુખી महाविद्याओं में 8वीं महाविद्या है ओम् ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ओम स्वाहा ।। 9. માતંગી 10. કમલા
No comments:
Post a Comment