Jul 30, 2016

मोहनजोदड़ो Mohen jo Daro


मोहनजोदड़ो ऐसी नगर सभ्यता, जहां के लोगों का जीवन 8000 साल पहले हमसे बेहतर था

मोहनजोदड़ो ऐसी नगर सभ्यता, जहां के लोगों का जीवन 8000 साल पहले हमसे बेहतर था : आज हम जो ज़िंदगी जी रहे है, इससे बेहतर और सभ्य ज़िंदगी 8000 साल पहले सिंधु सभ्यता में लोग जी रहे थे. वो ऐसी ज़िंदगी थी, जो काफ़ी सभ्य, स्वच्छ और बेहतरीन हुआ करती थी. इस बात की जानकारी हमें करीब 100 पहले हुई एक खुदाई के बाद हुई थी. अभी हाल में ही मोहनजोदड़ो पर बॉलीवुड में एक मूवी आ रही है. हो सकता है कि उसमें आपको कई ऐसी चीज़ें देखने को मिल जाएं, जिनके बारे में जान कर आप भी अतीत की सुनहरी यादों में चले जाएं. सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई.पू.) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी. आपको बता दें कई मोहनजोदड़ो दुनिया के प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख शहर रहा है.

मोहनजोदड़ो का मतलब होता है ‘मुर्दों का टीला.’ मोहनजोदड़ो योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया एक ऐसा शहर था, जो शानदार और बेहतरीन था. पुरातत्व विभाग की सभी खोजों में से ये एक था. सिन्धु सभ्यता को ‘हड़प्पा संस्कृति’ भी कहा जाता है. इस सभ्यता की कई ऐसी ख़ासियत है, जिन्हें जान कर आपको अच्छा लगेगा.

मोहनजोदड़ो ऐसी नगर सभ्यता, जहां के लोगों का जीवन 8000 साल पहले हमसे बेहतर था
मोहनजोदड़ो ऐसी नगर सभ्यता, जहां के लोगों का जीवन 8000 साल पहले हमसे बेहतर था
सिंधु सभ्यता से जुड़े कुछ तथ्य

सबसे पहले सिंधु सभ्यता की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी नामक एक हिन्दुस्तानी ने की थी.

एक अनुमान के अनुसार, इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ और भूमध्यसागरीय थे.

इतिहासकारों ने सिंधु सभ्यता को प्रागैतिहासिक काल (Prohistoric) में रखा है.

मेसोपोटामिया यानि मिस्र की सभ्यता के अभिलेखों में वर्णित ‘मेलूहा’ शब्द का अभिप्राय सिंधु सभ्यता से ही है.

अभिलेखों के आधार पर सिंधु सभ्यता में 6 बड़े नगर थे. जिनके नाम मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलवीरा, राखीगढ़ और कालीबंगन था. इनके अलावा कई उपनगर भी थे, जिनका कोई उल्लेख नहीं पाया गया है.

सिंधु सभ्यता की विशेषताएं

खुदाई में प्राप्त अवशेषों के आधार पर अनाज के कुछ अवशेष भी पाए गए हैं. उस आधार पर कहा जा सकता है कि सिंधु सभ्यता की मुख्य फसलें थी गेहूं और जौ.

यातायात के लिए सिंधु सभ्यता के लोग बैलगाड़ी और भैंसागाड़ी का इस्तेमाल करते थे. खुदाई में इनके पहिए भी मिले थे. इसके अलावा बच्चों के खिलौनों में बैलगाड़ी के रूप भी थे.

सैंधव सभ्यता अर्थात सिंधु सभ्यता के लोग मौसम के अनुसार कपड़े पहनते थे. वे सूती और ऊनी वस्त्रों का इस्तेमाल करते थे.

सिंधु सभ्यता के लोगों के घरों की नालियां ढांचागत तरीके से सड़कों के नीचे होती थीं. घर के दरवाजे पीछे की ओर खुलते थे.

यहां बने घरों में पक्की ईंटों से बने स्नानघर और शौचालय थे.

इसमें जल निकासी के लिए नाले बने हुए थे, जिन्हें बाकायदा ईंटों से ढका गया था. ये नाले सड़क के बीच से निकलते थे.

सिंधु सभ्यता के लोग मिठास के लिए शहद का इस्तेमाल करते थे.

सिंधु सभ्यता और उपासना

सिंधु सभ्यता के लोग प्रकृति से बेहद प्रेम करते थे. इस वजह से वे पेड़, हवा और नदियों की पूजा करते थे.

पेड़ की पूजा और शिव पूजा के सबूत भी सिंधु सभ्यता से ही मिलते हैं.

सिंधु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानते थे और पूजा करते थे.

स्वास्तिक चिह्न हड़प्पा सभ्यता की ही देन है. इससे सूर्य उपासना का अनुमान लगाया जा सकता है.

स्त्री की पूजा की जाती थी

स्त्री की मिट्टी की मूर्तियां मिलने से इस तरह का अनुमान लगाया जा सकता है कि सिंधु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना होती थी.

आम-लोगों का रहन-सहन

इस सभ्यता में लोगों को व्यापार करना ख़ूब भाता था. मनोरंजन के लिए वे मछली पकड़ते थे और जंगली जानवरों का शिकार करते थे.

सिंधु सभ्यता के मर्द चौपड़ और पासा खेलते थे. चौपड़ एक तरह से शतरंज जैसा ही होता है.

वैसे तो दुनिया की अन्य सभ्यताओं में तलवार के बारे में जानकारी मिलती है, लेकिन सिंधु सभ्यता के लोग तलवार से परिचित नहीं थे.

सिंधु सभ्यता में पर्दा-प्रथा और वेश्यावृत्ति थी.

सिंधु सभ्यता का अंत

प्राकृतिक आपदा और जलवायु में बदलाव के कारण इस सभ्यता का अंत हो गया. एक अनुमान और पुरातत्व से प्राप्त अवशेषों के आधार पर कहा जाता है कि सिंधु सभ्यता के विनाश का सबसे बड़ा कारण बाढ़ था.

मोहनजोदड़ो के पुरातात्विक महत्व को देखते हुए यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में भी रखा है.

सिंधु सभ्यता अर्थात ‘सैंधव सभ्यता’ एक ऐसी सभ्यता थी, जहां की जनता नगर में रहती थी. खुदाई में मिली वस्तुओं के आधार पर ये कहा जा सकता है कि वे कई मामले में हमसे बेहतर थे. उस समय महिलाओं की काफ़ी कद्र की जाती थी. उस समय के लोग प्रकृति की पूजा एवं रक्षा करने में तत्पर रहते थे. लेकिन आज सब कुछ उल्टा है. उम्मीद है कि हम इतिहास से कुछ सबक ज़रूर लेंगे.

Compiled - FB

Ma Mogal madi, મોગલ માડી

માં તું ચૌદ ભુવન મા રેહતી,  ઉંઢળ માં આભ લેતી, છોરું ને ખમ્મા કહેતી મારી, મોગલ માડી. લળી લળી પાય લાગું, એ દયાળી દયા માંગુ મારી, મોગલ માડી.   ...